सावन माह के कृष्ण पक्ष में दशमी के अगले दिन आने वाली एकादशी को कामिका एकादशी कहा जाता है। सावन महीने में आने के चलते इस एकादशी का बहुत महत्व होता है क्योंकि यह माह भगवान शिव का होता है और भगवान श्रीहरि की प्रिय तिथि एकादशी होती है। इसलिए इस व्रत को सबसे उत्तम व्रत माना गया है। मान्यता है कि इस एकादशी का व्रत करने से मनुष्य के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं। इसके अलावा सभी मनोकामनाओं की पूर्ति होती है। इस व्रत को करने वाले मनुष्य को कोई और पूजा करने की जरूरत नहीं होती है।

कामिका एकादशी से जुड़ी कथा

भगवान कृष्ण द्वारा धर्मराज युधिष्ठिर को सुनाई गई कथा के अनुसार प्राचीन काल में एक गांव में गुस्सैल ठाकुर रहता था। एक दिन उसका गांव के ब्राह्मण से किसी बात को लेकर झगड़ा हो गया। दोनों के बीच विवाद इतना बढ़ गया कि ठाकुर से ब्राह्मण की हत्या हो गई। गुस्सा शांत होने पर ठाकुर को अपनी करनी पर काफी दु:ख हुआ क्योंकि उसे ब्राह्म हत्या का पाप लगा था। उसने प्राश्चित करने के लिए पंडितों से ब्राह्मण के क्रिया-कर्म में शामिल होने का आग्रह किया लेकिन पंडितों ने उसके आग्रह को ठुकरा दिया। उन्होंने उसके यहां भोजन करने से भी इनकार कर दिया। ब्रह्म हत्या के पाप से परेशान ठाकुर अपने मुनि के पास पहुंचा। उसने उनसे इस पाप से मुक्ति का उपाय पूछा। इस पर मुनि ने उसे कामिका एकादशी व्रत करने की सलाह दी। मुनि के बताए अनुसार ठाकुर ने कामिका एकादशी का व्रत किया। रात को भगवान श्रीहरि ने उसे दर्शन देकर ब्राह्म हत्या के पाप से मुक्ति कर क्षमा दान दे दिया।

कैसे करें पूजन
इस दिन व्रत करने वाला व्यक्ति ब्रह्म मूहुर्त में उठे और स्नान करे। स्नान के बाद संभव हो तो पीले वस्त्र या लूंगी धारण करे। पूजन स्थान पर शंख, चक्र और गदाधारी भगवान विष्णु की मूर्ति, फोटो या कैलेंडर स्थापित कर उन्हें पीले फूलों की माला चढ़ाए, धूप, दीप, नैवेद्य और पीले फल अर्पित करके उनकी आरती करे। आसन पर बैठकर ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय’ मंत्र का जाप करे। शाम को तुलसी के पास दीपक जलाए और परिक्रमा करे। अगले दिन सूर्योदय के बाद यानी द्वादशी को ब्राह्मणों और गरीबों को भोजन करवाने के बाद खुद अन्न और जल ग्रहण करे।

उपवास के नियम

इस एकादशी से एक दिन पहले दशमी तिथि को बिना लहसुन-प्याज का सादा भोजन करें। ब्रह्मचर्य का पालन करें। व्रत वाले दिन चावल और उससे बनी चीजें नहीं खाएं। एकादशी वाले दिन व्रत रखकर फलाहार करें और पीने के पानी में तुलसी के पत्ते डालें। कामिका एकादशी को रात में दीपदान करें। मान्यता है कि इस दिन भगवान विष्णु के मंदिर में दीपक जलाने से पितरों को शांति मिलती है।

इस उपवास के लाभ

इस व्रत को करने से ब्रह्म हत्या और भ्रूण हत्या के पाप से मुक्ति मिलती है। कामिका एकादशी की कथा सुनने और पढ़ने वाले को पापों से मुक्ति मिलती है और वह अंत काल में विष्णु लोक में जाता है। जो व्यक्ति यह व्रत करता है, उसको अश्वमेध यज्ञ करने के बराबर फल मिलता है। इस दिन भगवान श्री हरि को तुलसी दल अर्पित करने वाला मनुष्य संसार के समस्त पापों से मुक्त हो जाता है।

इस दिन शिव का पूजन और लाभकारी होगा
कामिका एकादशी के दिन शिव लिंग पर बेलपत्र, चंदन, धतूरा, फूल और जनेऊ चढ़ाना भी लाभकारी माना गया है। इस दिन सूर्यास्त होने के बाद मंदिर में शिवलिंग के पास दीया जलाएं। इससे कष्टों से मुक्ति मिलती है।

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