चन्द्रमा से द्वितीय तथा द्वादश स्थान में जब कोई भी ग्रह न हो तो केमद्रुम योग बनता है। यानी चंद्रमा से दूसरा और बारहवां भाव खाली होना चाहिए। इसे दरिद्रतादायक योग भी कहा गया है। यह योग काफी निष्कृष्ट माना जाता है। इसका फल अच्छा नहीं माना जाता। केमद्रुम योग होने से मनुष्य मलिन, दुखी, निर्धन और दूसरों के मातहत काम करने वाला होता है।

कारण यह है कि जब चंद्रमा से दूसरा और बारहवां भाव खाली रहता है तो चंद्रमा को बल नहीं मिल पाता, जिससे वह निर्बल हो जाता है। जिस तरह जन्मकुंडली में लग्नेश धनदायक ग्रह होता है, उसी तरह चंद्रलग्न भी धनदायक होता है। जब चन्द्र किसी भी ग्रह के प्रभाव में नहीं होता तो उसे निर्बल माना जाता है और शुभ फल देने में असमर्थ हो जाता है।

चंद्रमा अतीव निर्बल कब होता है ? एक स्थिति तब बनती है जब चन्द्र से दूसरे और बारहवें स्थान में कोई ग्रह मौजूद न हो। दूसरी स्थिति तब बनती है जब चन्द्र न तो किसी ग्रह के साथ हो अथवा दृष्ट हो, न ही इसके केन्द्र में कोई ग्रह स्थित हो।

योग का प्रभाव

विद्वानों का मत है कि किसी राजवंश के व्यक्ति की जन्मकुंडली में भी केमद्रुम योग हो तो दारिद्रता उसे घेर लेती है।

सारावली के अनुसार….
कान्तान्नपानगृहवस्त्रसुहृदविहीनो,
दारिद्र्यदु खगददैन्यमलै रुपेत।
प्रेष्य: खलः सकललोकविरुद्धवृत्ति,
केमद्रुमे भवति पार्थिववंशजोऽपि ॥

अर्थात- यदि केमद्रुम योग हो तो मनुष्य, स्त्री, अन्न, पान, गृह, वस्त्र व बन्धुजनों से विहीन होकर दरिद्रता, दुख, रोग, अधीनता में रहने वाला, दूसरों से द्वेष करने वाला और लोगों का अनिष्ट करने वाला होता है। भले ही उसका जन्म किसी राजवंश में ही क्यों न हुआ हो ।

मानसागरी के अनुसार….
केमद्रुमे भवति पुत्रकलत्रहीनो,
देशान्तरे व्रजति दुखसमाभितप्त।
ज्ञातिप्रमोदनिरतो मुखर कुचैलो,
नीच सदा भवति भीतियुतश्चिरायु ॥

अर्थात्ः “केमद्रुम” योग में उत्पन्न हुआ मनुष्य पुत्र तथा स्त्री से हीन होता है। वह भ्रमणशील, दुखी, संबंधियों से दूर, मनमानी करने वाला, गंदा रहने वाला, हमेशा भयभीत रहता है।

सर्वार्थचिन्तामणिकार ने एक अन्य प्रकार का केमद्रुम योग भी कहा है…
भाग्येश्वरे रिफगते तदीशे वित्तस्थिते,
भ्रातृगत्तैश्च पाप केमद्रुमेऽस्मिन भवेत् ॥
कुभोगी दुष्कर्मयुक्तोऽन्यकलनगामी।

अर्थात् – जब नवम भाव का स्वामी द्वादश भाव में स्थित हो और द्वादश भाव का स्वामी द्वितीय भाव में स्थित हो और तृतीय स्थान में पापी ग्रह स्थित हो तो भी “केमद्रुम” योग समझना चाहिये । इस योग में उत्पन्न हुआ मनुष्य दुष्टकर्मों में संलग्न रहता है।

ऐसे भंग हो जाता है केमद्रुम योग

प्राचीन ज्योतिषाचार्यों का कहना है कि निम्न स्थितियों में केमद्रुम योग नहीं होता –

(1) यदि चन्द्रमा के साथ कोई ग्रह हो ।
(2) यदि लग्न से केन्द्र में कोई ग्रह हो ।
(3) यदि चन्द्रमा से केन्द्र में कोई ग्रह हो ।

यानी यदि चंद्रमा से दूसरे या 12वें भाव में कोई ग्रह न हो, बल्कि उससे केंद्र में कोई ग्रह (सूर्य को छोड़कर) स्थित हो तो केमद्रुम योग भंग हो जाता है। इसका कारण यह है कि चंद्रमा से केंद्र में बैठा ग्रह उसे बल प्रदान करेगा, इसलिए वह निर्बल नहीं रह जाएगा।

इसी तरह यदि चंद्रमा से दूसरा और बारहवां भाव खाली हो, किन्तु चंद्रमा के साथ सूर्य को छोड़कर किसी अन्य की युति हो, तब भी केमद्रुम योग का प्रभाव समाप्त हो जाता है।

इस बात की पुष्टि मानसागरी में भी की गई है। इसके अनुसार….
केन्द्रे शीतकरेऽथवा ग्रहयुते केमद्रुमो नेष्यते ।
केचित्केन्द्रनवांशकेषु इति वदन्ति उक्ति प्रसिद्धा न ते ।।

अर्थात् – यदि चन्द्र से केन्द्र में ग्रह स्थित हो तो ”केमद्रुम” योग नहीं बनता। इसी प्रकार यदि चन्द्र के साथ किसी भी ग्रह की युति हो तो भी केमद्रुम नहीं होता।

मानसागरी के अनुसार ही…..
पूर्ण शशी यदि भवेत्छुभसंस्थितो वा,
सौम्यामरेज्यभृगुनन्दनसयुतश्च।
पुत्रार्थसौख्यजनक कथितो मुनीन्द्रै,
केमद्रुमे भवति मंगलसुप्रसिद्धि. ।।

अर्थात् – यदि चन्द्र पूर्ण हो अथवा शुभ स्थिति में हो अर्थात् बुध, गुरु, अथवा शुक्र से युक्त हो तो पुत्र, धन तथा सुख देने वाला होता है। ऐसी स्थिति में यदि केमद्रुम योग भी होगा भी तो उसका प्रभाव नगण्य ही रहेगा।

एक अन्य मत के अनुसार यदि चन्द्र से छठे, अथवा आठवें स्थान में ग्रह हों, तब भी ‘केमद्रुम” योग भंग हो जाता है। क्योंकि छठे और आठवें बैठे ग्रहों का प्रभाव चंद्रमा पर रहता है। इसी प्रकार चन्द्र यदि स्वयं केन्द्र मे स्थित हो तो भी बली हो जायेगा, इसीलिये ‘केमद्रुम’ योग भंग हो जाएगा।

sarvabhoot sharanam ji

अधिक जानकारी हेतु संपर्क करें

Sarvabhoot Sharanam
LGF – 58, Ansal Fortune Arcade, Sector – 18
Noida, Uttar Pradesh 201301
 
Contact Number: 088009 00746

<script data-ad-client=”ca-pub-5792039263678717″ async src=”https://pagead2.googlesyndication.com/pagead/js/adsbygoogle.js”></script>

Leave a comment