पितृदोष के प्रभाव और लक्षण

भारतीय ज्योतिष में कई तरह के दोष बताए गए हैं। इनमें पितृदोष को सबसे बड़ा दोष माना गया है। जिस व्यक्ति की कुंडली में यह दोष होता है, उसका जीवन संघर्षपूर्ण हो जाता है। मतलब यह है कि उसे छोटी से छोटी चीज पाने के लिए भी काफी मेहनत करनी पड़ती है। इसके बाद भी यह जरूरी नहीं कि वह चीज उसे मिल ही जाए। बना बनाया काम बिगड़ जाता है। यह आपके घर में भी छोटी-छोटी बातों को लेकर क्लेश होता है, पति-पत्नी में अक्सर झगड़ा होता है, संतान से आपकी पटती नहीं है, विवाह में बाधा आ रही है तो समझ लीजिए कि आपकी कुंडली भी पितृदोष से पीड़ित है। यहां आपको वे सभी लक्षण बता रहे हैं, जिसे देखते ही आप समझ जाएंगे कि आप भी इससे पीड़ित हैं।


1. यदि किसी घर के सदस्य बार-बार एक्सीडेंट्स होते हैं या उनके साथ कोई अन्य तरह की दुर्घटना होती है तो निश्चित ही उस घर में पितृदोष होता है।

2. घर का कोई सदस्य यदि शराब, गांजे, अफीम या इसी तरह के किसी नशे का आदी हो तो समझ जाएं कि आपके घर में यह दोष है। नशे की लत के चलते परिवार बर्बाद होने लगता है। घर में तनाव बना रहता है। मार-पिटाई तक होती है लेकिन नशा करने वाला व्यक्ति उसे छोड़ने का राजी नहीं होता। 

3.  जिन्हें पितृ दोष होता है, वह व्यक्ति अत्यधिक गुस्सैल स्वभाव का होता है। मामूली बातों पर भी उनका गुस्सा भड़क होता है, उन्हें शांत कराना काफी मुश्किल हो जाता है। 

4.  यदि लाख कोशिश करने के बाद भी बच्चों के विवाह में बाधा आ रही है और उनका रिश्ता कहीं भी तय नहीं हो पा रहा है या तय होते ही टूट जाता है तो यह पितृदोष की निशानी है। 

5. घर में अक्सर क्लेश बना रहता है। छोटी-छोटी बातों को लेकर परिवार के सदस्य आपस में लड़ते रहते हैं। उनकी आपस में बनती नहीं है तो यह भी इस दोष की बड़ी निशानी है। 

6. पैसा तो घर में खूब आता है लेकिन वह टिकता नहीं है। पानी की तरह वह बह जाता है। घर में आय की अपेक्षा खर्च बहुत अधिक होता है।घर की जैसी बरकत होनी चाहिए था अगर वैसी नहीं हो रही है तो मान लीजिए आपके घर में पितृदोष है। 

7.  जीवन के अंतिम समय में, जातक का पिता बीमार रहता है या स्वयं को ऐसी बीमारी होती है, जिसका पता नहीं चल पाता। घर में कोई न कोई हर वक्त बीमार रहता है। दवाओं पर अधिक पैसा खर्च होता है, तो यह भी इस दोष का लक्षण है।  

8. यदि शादी के वर्षों बाद तक घर में संतान नहीं हुई है या  जन्म होने के तीन वर्ष की अवधि के अंदर ही बच्चे की मौत हो जाती है तो यह भी पितृदोष की निशानी है। 

अन्य प्रभाव
– भूत-प्रेत कारक ग्रह राहु से अधिक संबंध रखता है। चौथे स्थान में राहु, दसवें स्थान में शनि-मंगल हो तो उसके निवास स्थान में प्रेत का वास रहता है। इसके कारण धन हानि, संतान हानि, स्त्री को कष्ट होता है। अगर दूसरे, चौथे, पंचम, छठे, सातवें, द्वादश सूर्य के साथ राहु या गुरु के साथ राहु या तीनों एक जगह हों तो धन के लिए किसी की हत्या करना, विधवा स्त्री का धन, जायदाद आदि हड़प लेने से घर में पागलपन, दरिद्रता, लोगों के लापता हो जाने जैसी घटनाएं होती हैं। ऐसी हालत में वहां पिशाच, प्रेत का निवास होता है। पांच पीढ़ी तक यह दुख देता है।

– राहु अगर चंद्र या शुक्र के साथ हो तो किसी स्त्री का श्राप सात पीढ़ी तक चलता है। महारोग क्षयरोग गण्डमाला रोग, सांप का काटना इत्यादि घटनाएं होती हैं। राहु के साथ शनि आत्महत्या का कारक है। तंग होकर कोई खून के रिश्ते में आत्महत्या कर ले, तो सात पीढ़ी तक चलता है। औलाद और पत्नी पर कष्ट आते हैं। ये हैं प्रेत दोष।

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