कहते हैं स्पर्श में बहुत ताकत होती है। बच्चा मां के स्पर्श को तुरंत पहचान लेता है और उसकी गोद में समा जाता है। मां का स्पर्श उसे आनंद प्रदान करता है। इसी के सहारे वह चलना, बोलना, हाथ-पांव चलाना आदि सीखता है। इसी प्रकार बीमारी की हालत में अपने किसी खास व्यक्ति का स्पर्श अद्भुत शक्ति प्रदान करता है। उसमें जल्द ठीक होने की प्रबल इच्छा जागृत हो उठती है। यदि ऐसी स्थिति में ‘स्पर्श ध्यान’ का सहारा लिया जाए तो चमत्कारिक परिणाम देखने को मिलते हैं।
क्या है ध्यानहमारा शरीर छह तत्वों से मिलकर बना है- पृथ्वी, जल, आकाश, वायु। यदि इनमें से किसी एक तत्व में विकार आ जाता है तो शरीर पर उसका नकारात्मक प्रभाव पड़ने लगता है। कई तरह की बीमारियां मनुष्य को घेर लेती हैं। मन बेचैन और उद्विग्न होने लगता है। ध्यान योग इन सभी तत्वों को एकीकार करता है। ध्यान की मदद से इनमें आने वाले विकार को दूर किया जा सकता है। लेकिन यहां मन में विचार उठता है कि ध्यान आखिर है क्या? इसका सीधा सा उत्तर है कि किसी विचार या वस्तु पर अपना मन या चित्त को एकाग्र करना ही ध्यान लगाना होता है। वह किसी की बातें ध्यानपूर्वक सुनने के रूप में भी हो सकता है, या किसी को एकटक नजरों से देखना। या ध्यान से गाड़ी चलाना। आपका हाथ कहां हैं, पैर कहां है और आप देख कहां रहे हैं, इसे भी ध्यान की श्रेणी में रखा जा सकता है। लेकिन जब इसमें आध्यात्मिकता का पुट जुड़ जाता है तो यह अत्यधिक विस्तृत और गहन हो जाता है। मनुष्य की सामान्य चेतना उसके अवचेतन मन से जुड़ जाती है, जो उसको परम शक्ति की ओर आकर्षित करती है और उसे अविश्वनीय तौर पर नई शक्ति प्रदान करती है। यह शक्ति मनुष्य को मानव कल्याण के लिए प्रेरित करती हैं।
ध्यान की अवस्थाएंध्यान के कई चरण और अवस्थाएं होती हैं। इनसे गुजरता हुआ साधक समाधि तक पहुंच जाता है, जो ध्यान की सर्वोच्च अवस्था है। आपने सुना और देखा भी होगा कि कई योगी या महर्षि समाधि ग्रहण कर लेते हैं, यानी वे ध्यान की इस सर्वोच्च अवस्था को प्राप्त कर चुके होते हैं। ध्यान की अवस्था यौगिक क्रिया से शुरू होती है, जो धीरे-धीरे अग्रसर होते हुए कुंडलिनी जागरण और फिर समाधि तक पहुंचती है। शुरुआती स्तर पर तो साधक खुद से यौगिक ध्यान कर सकता है लेकिन कुंडलिनी जागरण के स्तर पर पहुंचने के साथ ही उसे गुरु की आवश्यकता होती है, जो उसका मार्गदर्शन कर सके, क्योंकि इस स्तर पर पहुंचने के बाद जो ऊर्जा शरीर से प्रस्फुटित होती है, उसे संभालना हर किसी के वश की बात नहीं होती। गुरु ही उसे इस ऊर्जा को संभालने और उसके संचालन के नियम से अवगत कराता है। गुरु ही ध्यान योग की मदद से साधक का मिलन परम शक्ति से कराता है।
स्पर्श ध्यानभारतीय प्राचीन पद्धति में स्पर्श चिकित्सा को काफी अहम माना गया है। आपने ऐसे कई संतों के बारे में सुना या देखा होगा जो स्पर्श मात्र से आंतरिक और शारीरिक पीड़ा का दूर कर देते हैं। स्पर्श चिकित्सा मानसिक रोगों से लेकर साधारण बीमारी और अति घातक रोगों में लाभकारी मानी गई है। यह स्पर्श चिकित्सा की शक्ति स्पर्श ध्यान का ही एक रूप है, जो काफी काफी जप-तप से हासिल होती है। इसके जरिए साधक अपने समक्ष आने वाले पीड़ित को छू लेने भर से नई ऊर्जा का संचार करता है। यह वही ऊर्जा है, जो ब्रह्मांड में प्रत्येक जीव को सृष्टि प्रदान करती है लेकिन किन्ही कारणों की वजह से यह ऊर्जा शरीर में धीरे-धीरे क्षीण होने लगती है। स्पर्श शक्ति से युक्त साधक इस ऊर्जा को फिर से पीड़ित के शरीर में संचारित करता है, इसका चमत्कारिक असर देखने को मिलता है। यह सिद्ध हो चुका है कि ध्यान-अभ्यास हमारे शरीर और मन दोनों को लाभ पहुँचाता है।
बिगड़ती जीवन शैली ने क्षीण की आंतरिक ऊर्जाआजकल हर शख्स भाग-दौड़ भरी जिंदगी जी रहा है। इसी भाग दौड़ ने उसे तनावग्रस्त बना दिया है, जिससे उसकी मस्तिष्क की क्षमता कमजोर होती जा रही है। साथ में शरीर सहित आत्मविश्वास भी कमजोर हो रहा है। डाक्टर हमें बताते हैं कि तनाव हमारे शारीरिक स्वास्थ्य पर बहुत हानिकारक प्रभाव डालता है। तेज रफ्तार से दौड़ती दुनिया में ज्यादातर लोग रफ्तार के दबाव से टूट जाते हैं और तनाव, चिंता, अवसाद आदि के शिकार हो जाते हैं। ध्यान-अभ्यास करने से हमारा शरीर पूरी तरह से शांत हो जाता है और हमारा समस्त तनाव दूर हो जाता है। परीक्षण बताते हैं कि ध्यान-अभ्यास के दौरान हमारी दिमाग़ी तरंगें धीमी होकर 4-10 हट्र्ज़ पर कार्य करने लगती हैं, जिससे कि हमें पूरी तरह से शांत होने का एहसास मिलता है। ऐसे में स्पर्श ध्यान को अपनाकर मस्तिष्क की शक्ति बढ़ाकर खुद को शक्तिशाली बनाए रखा जा सकता है।
स्पर्श ध्यान के लाभ
*मस्तिष्क की शक्ति को ध्यान की सहायता से कई गुना बढ़ाया जा सकता है और जीवन के लक्ष्य प्राप्त किए जा सकते हैं।
*ध्यान से तनाव ही नहीं, पीठ का दर्द, लकवा, मांसपेशियों में खिंचाव, मधुमेह व अस्थमा जैसे रोगों का उपचार भी संभव है।
*याददाश्त बढ़ाने, मन-मस्तिष्क को एकाग्र करने, आत्मविश्वास बढ़ाने और आज के प्रतिस्पद्र्धी वातावरण के दबावों का सामना करने के लिए ध्यान की शक्ति महत्वपूर्ण सिद्ध होती है।