चन्द्रमा से द्वितीय तथा द्वादश स्थान में जब कोई भी ग्रह न हो तो केमद्रुम योग बनता है। यानी चंद्रमा से दूसरा और बारहवां भाव खाली होना चाहिए। इसे दरिद्रतादायक…
जब जन्मकुंडली में चंद्रमा के दोनों ओर यानी दूसरे और बारहवें भाव में ग्रह स्थित होते हैं तो दुरुधरा योग बनता है। इस योग में भी सूर्य की गणना नहीं…
जब किसी व्यक्ति की जन्मकुंडली की विवेचना की जाती है तो उसमें चंद्रलग्न की भी विशेष महत्ता रहती है। चंद्रलग्न, जन्मलग्न के तुल्य ही फल प्रदान करता है, इसलिए…
१. व्याघ्रपाद स्मृति में कहा गया है - "यज्ञं दानं जपो होमं स्वाध्यायं पितृतर्पणम्। नैकवस्त्रो द्विज: कुर्याद् भोजनं तु सुरार्चनम्।।" अर्थात् एक वस्त्र पहन कर न तो भोजन करना चाहिए,…
१. लघुहारीत स्मृति और नरसिंह पुराण में कहा गया है कि दूध वाले तथा कांटे वाले वृक्षों के दातुन का उपयोग व्यक्ति को यशस्वी बनाते हैं - "सर्वे कण्टकिन:…
१. वाधूलस्मृति में कहा गया है कि - "स्नानमूला: क्रिया: सर्वा: सन्ध्योपासनमेव च। स्नानाचारविहीनस्य सर्वा: स्यु: निष्फला: क्रिया:।।" यानी स्नान किए बिना जो पुण्य कर्म किया जाता है, वह निष्फल…
१. विष्णु पुराण में कहा गया है कि सदा पूर्व या दक्षिण की तरफ सिर करके सोना चाहिए। उत्तर या पश्चिम दिशा की तरफ सिर करके सोने से आयु क्षीण…
सनातन हिंदू धर्म और संस्कृति अद्वितीय, विलक्षण एवं अपरिमेय है। इसमें बताए गए सभी विधान, नियम, सिद्धांत, आचरण और व्यवहार न केवल मानव जाति को मानसिक एवं शारीरिक रूप से…
यहाँ पर अंतिम पंच महापुरुष योग के बारे में जानकारी देंगे। साथ ही यह भी बताएंगे कि यह योग किस तरह से भंग भी होता है....
शश योग जब शनि…
भद्र योग यदि बुध अपनी स्वराशि मिथुन या उच्च राशि कन्या में स्थित होकर केन्द्र में स्थित हो तो ‘भद्र’ योग बनता है। यह भी केंद्र में स्थित होकर लग्न…